आदिवासियों का नहीं होगा अस्तित्व, जमीन के बगैर

शहडोल


मध्यप्रदेश सरकार ने 27 नवंबर को हुई कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया है कि भू राजस्व संहिता में संशोधन कर आदिवासी क्षेत्रों में गैर आदिवासी को जमीन के डायवर्सन का अधिकार देने के प्रस्ताव पारित हुआ है। यह प्रस्ताव आदिवासियों की जमीन से बेदखल करने का षडयंत्र है इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाए। यह बात आदिवासी समंवय मंच के बैनर तले कलेक्ट्रेट में ज्ञापन देने पहुंचे आदिवासी युवा नेताओं ने कही। इन्होंने कहा कि जमीन के बगैर आदिवासी का अस्तित्व ही नहीं रह जाएगा। अधिकांश आबादी खेती पर आधारित है और आदिवासी समाज की जमीन ही उससे छीन ली गई तो वह क्या करेगा। इन युवा आदिवासी नेताओं ने कहा कि पहले ही छल करके आदिवासियों की जमीन हड़प ली गई। यह सिलसिला आज भी जारी है। ज्ञापन में कहा गया है कि मध्यप्रदेश सरकार आदिवासियों की जीवन शैली को खत्म करने का काम कर रही है। आजादी के समय आदिवासियों के पास 65 प्रतिशत जमीन थी और आज अधिकांश जमीनों को वन भूमि बताया जा रहा है। सीएम को संबोधित ज्ञापन में मांग की गई है कि आदिवासियों का अस्तित्व बचा रहे इसके लिए 27 नवंबर को जो प्रस्ताव पास किया गया है उसे अबिलंब निरस्त किया जाए। वर्ना उग्र आंदोलन होगा।